कैंसर का सामना करो
नीरजा जी को चेन्नई के लोग कीमो एंजिल के नाम से जानते हैं कीमो यानि कीमो थेरेपी और एंजिल यानि मसीहा। लेकिन कीमो थेरेपी तो कैंसर जैसी जानलेवा बीमारी में होती है तो कोई कीमो एंजिल कैसे हो सकता है..ज़िंदगी जीने का ढंग अगर नीरजा मलिक जैसा हो तो कैंसर जैसी बीमारी बहुत मामूली लगने लगती है।
मुझे कभी नीरजा जी की कही वो बात नहीं भूलती- कैंसर से लड़ो मत. कैंसर का सामना करो।
नीरजा जी को दो बार ब्रेस्ट कैंसर हो चुका है। लेकिन न तो वो डरीं न घबराईं न रोईं। उन्होंने उस खतरनाक बीमारी का सामना हंसते मुस्कुराते किया। बिना अपने बच्चों को बताए, चेन्नई से मुंबई जा कर कीमो थेरेपी कराई, बच्चों को भनक तक नहीं लगने दी कि उनकी मां किस बीमारी से जूझ रही हैं। वो तो बस मुस्कुराती रहीं और इलाज कराती रहीं । और यकीन मानिए मुझे पूरा विश्वास है कि कैंसर से दो बार जीत पाने की वजह नीरजा जी की खुशमिज़ाजी ही है। उन्होंने खुद तो मुस्कुराते हुए कैंसर को हराया ही, आज वो चेन्नई में कैंसर पीड़ितों और उनके परिवार वालों के चेहरों पर मुस्कान लाने का काम करती हैं। वो लोगों को समझाती हैं कि इस बीमारी से हार मान कर मत बैठ जाओ बल्कि हंसते हुए उसका सामना करो।
हमारे देश में महिलाओं के तरह तरह के कैंसर बहुत तेज़ी से फैल रहे हैं। स्तन कैंसर, गर्भाशय का कैंसर, सर्विकल कैंसर, ये कुछ ऐसे कैंसर हैं जो सिर्फ महिलाओं में ही होते हैं और हो सकते हैं। ज़िंदगी लाइव में हमने सोचा कि उन महिलाओं से बात करें जिन्होंने किसी न किसी कैंसर का सामना किया और उससे बच कर ज़िंदगी हासिल की। ऐसी महिलाओं के साथ हमने दो एपिसोड बनाए, उनसे भी बात की और डॉक्टर से भी। ये जानने की कोशिश की कि क्या वजह है कि हमारे देश में अचानक से इतने तरह के कैंसर ने धावा बोल दिया और क्यों महिलाएं इतनी तेज़ी से शिकार हो रही हैं।
लगभग हर महिला से बात कर के हमें एक बात समझ में आई कि हम हिंदुस्तानी महिलाएं घर, बाहर से जुड़ी हर बात का ध्यान रखती हैं । घर का सारा काम काज, राशन की खरीददारी, बच्चों का स्कूल, स्वास्थ्य, पति की पसंद का खाना पीना, रिश्तेदारी निभाने की ज़िम्मेदारी, सास-ससुर, माता पिता की देखभाल और न जाने इन जैसे कितने काम जिनका कहीं कोई हिसाब ही नहीं। लेकिन एक बेहद ज़रूरी काम जो हम सब भूल जाती हैं वो ये है कि ३० साल की उम्र से ऊपर हर महिला को नियम से हर साल अपना पूरा चेक-अप कराना चाहिए चाहे शरीर में कोई कष्ट हो या न हो। अक्सर तो होता ये है कि हम शरीर में हो रही तकलीफ को भी तब तक छुपा जाते हैं जब तक वो असहनीय न हो जाए क्योंकि हमें लगता है कि अगर हम घर में किसी को अपनी तकलीफ बताएंगे तो सब परेशान हो जाएंगे और हमें घर में किसी को परेशान करना अच्छा नहीं लगता। हम ये भूल जाते हैं कि यही तकलीफ अगर बढ़ कर कैंसर बन गई तो क्या घरवाले परेशान नहीं होंगे?
याद रखिए, कैंसर से सबसे बड़ा बचाव यही है कि हम नियमित जांच कराएं। क्योंकि कैंसर कब किस पर और कहां हमला बोलेगा, हम में से कोई नहीं जानता। लेकिन जितनी जल्दी हम उसके हमले को भांप लेंगे, उतनी आसानी से अपनी जान बचा सकेंगे। इसलिए आप में से हर महिला से मेरा यही कहना है कि आप नहीं तो कुछ भी नहीं। आपसे बढ़ कर कोई भी नहीं। आप हैं तो सब हैं, और आपकी जान है तो जहान है।
वक्त आ गया है कि अब खुद को याद कीजिए, थोड़ा वक्त अपने लिए निकालिए। जाइए अपना चेकअप करवाइए। उसे कलपर मत टालिए, क्योंकि वो कल कभी नहीं आता। आपकी ज़िंदगी बेशकीमती है, अपना खयाल रखिए।
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