इत्तेफाक
इस साल इत्तेफाक से मैं बहुत सफर कर रही हूं। और उनमें से ज़्यादातर सफर ट्रेन से हो रहे हैं। देश के किसी भी शहर या कस्बे में चले जाइए , रेलवे स्टेशन, प्लेटफॉर्म, टॉयलेट्स की हालत देख कर अफसोस ही होता है। देश की राजधानी दिल्ली ही क्यों न हो, वहां भी, न किसी को साफ सफाई की फिक्र है न व्यवस्थाओं की बदहाली की। और छोटे शहरों की तो बात ही छोड़ दीजिए। जहां नज़र दौड़ाएंगे, कचड़े...