Author - admin

इत्तेफाक

इस साल इत्तेफाक से मैं बहुत सफर कर रही हूं। और उनमें से ज़्यादातर सफर ट्रेन से हो रहे हैं। देश के किसी भी शहर या कस्बे में चले जाइए , रेलवे स्टेशन, प्लेटफॉर्म, टॉयलेट्स की हालत देख कर अफसोस ही होता है। देश की राजधानी दिल्ली ही क्यों न हो, वहां भी, न किसी को साफ सफाई की फिक्र है न व्यवस्थाओं की बदहाली की। और छोटे शहरों की तो बात ही छोड़ दीजिए। जहां नज़र दौड़ाएंगे, कचड़े...

अदालत का एक और फैसला..

८४ के दंगों से जुड़ा अदालत का एक और फैसला..जगदीश टायटलर के खिलाफ केस फिर खोला जाए। एक बार फिर उन दंगों का जिन्न जिंदा हो गया। हर तरफ, अखबार, टीवी, ट्विटर, फेसबुक पर एक ही बात- क्या हुआ था १९८४ के उन ४ दिनों में । किस तरह बर्बरता का खेल खेला गया था । हज़ारों लोग मौत के घाट उतार दिए गए थे। कितने ही खानदान तबाह हो गए । लोगों को ज़िंदा जलाया गया, बलात्कार हुए, बच्चों...

टीवी कार्यक्रमों की बात

टीवी कार्यक्रमों की बात छिड़े तो अपने बचपन के दिनों के कई प्रोग्राम याद आते हैं । रामायण महाभारत तो खैर इतने लोकप्रिय थे कि उन्हें आजीवन भूलना ही नामुमकिन है। इन दोनों धारावाहिकों के प्रति लोगों का क्रेज़ मुझे आज भी याद है। संडे की सुबह तो और कोई काम होता ही नहीं था। बाकि सारे प्लान इनके हिसाब से बनाए जाते थे। मसलन लोगों को ये कहते सुनना आम था- चलिए फिर संडे को रामायण के बाद मिलते...

कुछ दिन पहले

कुछ दिन पहले मैं भोपाल गई थी अपनी बुआ की बेटी की शादी में। शादी हो और मेंहदी लगाने वाली न आएं, ये कैसे मुमकिन है भला..तो वहां भी दो महिलाएं आईं जो पूरे दिन बैठ कर हर लड़की-महिला के हाथ में मेंहदी लगाती रहीं। वैसे मुझे ऐसे सारे लोगों से बेहद जलन होती है जो एक ही जगह बैठ कर घंटों एक ही काम बड़े सब्र से कर लेते हैं। मुझसे ये बिलकुल नहीं होता । इसलिए जब कोई...

१४ साल की लड़की की सोच

मुझे परिवार के साथ साफ सुथरी फिल्में देखना बहुत पसंद है। इस मदर्स डे पर सोचा कि क्यों न सब के साथ गिप्पी देखी जाए। कुछ दोस्तों से सुना था और ट्विटर, फेसबुक पर पढ़ा था कि फिल्म अच्छी है। तो सोचा मदर्स डे पर मां और बिटिया, दोनों के लिए इससे बेहतर तोहफा क्या होगा। और फिल्म देखने के बाद मुझे अपने फैसले पर वाकई खुशी हुई। फिल्म में एक १४ साल की लड़की की सोच, समझ, कशमकश को...

रात

मेरे ‘रिलीवर’ के आते ही खत्म हुई मेरी ‘नाइट शिफ्ट’….आज भी अंधकार के छाते के नीचे दुनिया को देखा….दुनिया के कुछ लालटेनों बल्ब्स और ट्यूबलाइट्स को देखा….. बनारस का जगिया बुनकर गंगा मैया को अपने दुखड़े सुना रहा था… और उसकी बुनी साड़ी पहन हिरोइन का जलवा मुंबई के रैंप पर बिखर रहा था…. दतिया की रिम्पी बोर्ड की तैयारी में रात भर किताबों मे आंखें गढाए रही तो दिल्ली में उसके भाई की नज़रें डिस्क में थिरकती बालाओं से न...

गुरुजी यहीं हैं……

करीबन 2 महीने हो गए ‘गुरुजी’ को गए हुए। मैंने उनसे सितार तो नहीं सीखा लेकिन पंडित रविशंकर को मैं और उनके कुछ और करीबी लोग गुरुजी ही बुलाते थे, हैं, और रहेंगे।मेरे लिए ऐसा पहली बार हुआ है कि किसी के जाने के बाद भी मैं अब तक उनकी उपस्थिति को महसूस कर पा रही हूं। 2001 से मैं उनको जानती हूं और पिछले 12 साल में न जाने कितनी बार उनके हाथ को पकड़कर उनके साथ-साथ चली...

सिर्फ विवेका….?

एक और मॉडल की खुदकुशी…एक खूबसूरत औरत की मौत…एक सिलेब्रिटी की मौत…ग्लैमर की दुनिया से जुड़े लोगों की मौत भी सुर्खियों में रहती है। बहुत कुछ होता है कहने सुनने को। मीडिया के लिए ढेर सारा मसाला भी। खुदकुशी की वजहों पर जमकर चर्चा होती है।मॉडल के दोस्त, तमाम पेज 3 चेहरे कुछ न कुछ कहने सामने आ जाते हैं जिन लोगों से शायद कई साल में उसकी बातचीत भी नहीं हुई होगी वो भी अचानक उसके करीबी बन...

यही तो है सच्चा प्यार….

वो चल फिर नहीं सकती, न जाने कितनी बीमारियां हैं उसको। जिंदगी भी बस कुछ ही दिनों की होगी उसके पास, अगर जल्द ही कोई चमत्कार न हुआ तो। लेकिन उसके पास एक ऐसी चीज है जिसके लिए शायद हर कोई सारी उम्र तरसता है। उसके पास सच्चा प्यार है। मैं बात कर रही हूं निवेदिता और उसके पति पंकज की। जब पंकज ने निवेदिता को पहली बार देखा था तभी उससे प्यार कर बैठा था। निवेदिता उस वक्त भी ठीक...

सर्दी की नर्म धूप और….

अपने एयर कंडीशन्ड ऑफिस की कांच की बंद खिड़की से आज झांक कर बाहर देखा..तो अचानक दिल बैठ सा गया। एक पल के लिए अपना सारा बचपन आंखो के सामने घूम गया। खिड़की से देखा आज सर्दी की नर्म धूप खिली हुई है जिसे देख तो पा रही हूं…महसूस नहीं कर सकती। इस धूप ने सालों पहले के रिश्तो की गर्माहट याद दिला दी। एक छोटा सा शहर झांसी…झांसी में एक छोटी सी कॉलोनी में एक छोटा सा घर था...